Vinesh Phogat: एक योद्धा का सफर, जिसने हर मुश्किल को बनाया ताकत
Vinesh Phogat: भारतीय कुश्ती में घर-घर में पहचान बनाने वाली Vinesh Phogat ने न सिर्फ अपने करियर में कई पदक जीते हैं बल्कि विवादों में भी अपनी पहचान बनाई है। पिछले डेढ़ साल से उनके नाम की बार-बार चर्चा हो रही है और हाल ही में उनके संन्यास की घोषणा ने खेल जगत में हलचल मचा दी है।
Vinesh Phogat का सफर हरियाणा के बलाली गांव से शुरू हुआ, जहां 25 अगस्त 1994 को उनका जन्म हुआ। वह भारत के सबसे प्रसिद्ध कुश्ती परिवार से आती हैं, जिसने गीता फोगट और बबीता कुमारी जैसी दिग्गज पहलवानों को भी जन्म दिया। विनेश के चाचा महावीर सिंह फोगाट ने परिवार की बेटियों को कुश्ती से परिचित कराया और इस परंपरा को जारी रखा।
प्रारंभिक जीवन और प्रशिक्षण
Vinesh Phogat का जन्म 25 अगस्त 1994 को हुआ था। वह फोगट परिवार की सदस्य हैं, जो भारतीय कुश्ती में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। विनेश के चाचा महावीर सिंह फोगाट, जो कुश्ती कोच भी हैं, उन्होंने गीता फोगाट और बबीता फोगाट जैसी दिग्गज पहलवानों को प्रशिक्षित किया है। महावीर सिंह ने विनेश को कुश्ती से भी परिचित कराया। नौ साल की उम्र में अपने पिता की मृत्यु के बाद, विनेश का पालन-पोषण उनके चाचा ने किया और कुश्ती में कठोर प्रशिक्षण लिया।
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफलता
Vinesh Phogat ने ग्लासगो में 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में अपने पहले प्रमुख अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीतकर खुद को प्रतिष्ठित किया। इस जीत ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई और भविष्य के टूर्नामेंटों के लिए आत्मविश्वास भी दिया।
रियो ओलंपिक 2016
2016 के रियो ओलंपिक में विनेश क्वार्टर फाइनल तक पहुंची लेकिन क्वार्टर फाइनल में उन्हें चोट लग गई जिसके कारण वह पदक जीतने से चूक गईं। इस चोट ने उन्हें कुछ समय के लिए कुश्ती से दूर रखा, लेकिन मजबूत इरादों के साथ उन्होंने वापसी की।
2018 एशियाई खेल और कॉमनवेल्थ गेम्स
2018 में विनेश ने राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी खोई चमक वापस लायी। वह एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं। इसके साथ ही उन्होंने जकार्ता में आयोजित एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक भी जीता, जो उनके करियर का एक बड़ा मील का पत्थर था।
विश्व चैंपियनशिप और अन्य उपलब्धियाँ
2019 में, Vinesh Phogat ने नूर-सुल्तान में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। यह उनके करियर का पहला विश्व चैम्पियनशिप पदक था। उन्होंने एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक भी जीता और 2021 में अपने करियर का पहला एशियाई चैंपियनशिप स्वर्ण पदक जीता। Vinesh Phogat राष्ट्रमंडल खेलों में तीन बार स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं, जिससे उन्हें भारतीय खेल जगत में एक विशेष स्थान मिला।
विवाद और संघर्ष
विनेश का करियर न सिर्फ मेडलों से सजा है, बल्कि कई विवादों से भी जुड़ा है। 2023 में, उन्होंने और अन्य भारतीय पहलवानों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना दिया, इस दौरान उन्होंने तत्कालीन कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृज भूषण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए। यह आंदोलन पूरे देश में सुर्खियां बना और इसके परिणामस्वरूप बृजभूषण सिंह को अपने पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा।
संन्यास का निर्णय
2024 पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाइंग ट्रायल के दौरान, विनेश को 50 किलोग्राम वर्ग के फाइनल से अयोग्य घोषित कर दिया गया था क्योंकि उनका वजन 100 ग्राम अधिक पाया गया था। इस घटना के बाद विनेश ने संन्यास की घोषणा कर दी. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक भावनात्मक संदेश के साथ अपने फैसले की घोषणा की, जिसमें उन्होंने कहा: “मातृत्व की लड़ाई मेरे लिए जीत गई है, मैं हार गई हूं।”
Vinesh Phogat की विरासत
Vinesh Phogat ने अपने करियर में जो कुछ भी हासिल किया है, वह सिर्फ मेडल तक सीमित नहीं है। उन्होंने भारतीय कुश्ती को एक नई दिशा दी और कई युवा पहलवानों के लिए प्रेरणा बने। उनका संघर्ष, उनकी कड़ी मेहनत और उनकी उपलब्धियाँ भारतीय खेल जगत में सदैव याद रखी जाएंगी। उनकी यात्रा से पता चलता है कि एक सच्चा योद्धा वह है जो सभी बाधाओं पर विजय प्राप्त करता है और अपने सपनों को हासिल करता है।
Vinesh Phogat प्रारंभिक संघर्ष और ट्रेनिंग
विनेश के जीवन में एक बड़ा मोड़ तब आया जब वह महज नौ साल की थीं जब उनके पिता की अचानक मृत्यु हो गई। उनके चाचा ने अपनी बेटियों और विनेश को भी कुश्ती सिखाई। विनेश की ट्रेनिंग काफी चुनौतीपूर्ण थी जिसमें उन्हें सुबह 3.30 बजे उठकर जाना होता था. उनकी कड़ी मेहनत ने उन्हें मजबूत बनाया है और यही कारण है कि उन्होंने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण मुकाम हासिल किए हैं।
Vinesh Phogat की ट्रेनिंग यात्रा न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी कठिन थी। बचपन से ही वे कठोर अनुशासन और कठोर दिनचर्या का पालन करते थे। सुबह 3:30 बजे उठना उनके दैनिक जीवन का हिस्सा था और उस समय वह अपने चाचा महावीर फोगट के मार्गदर्शन में कुश्ती प्रशिक्षण के लिए जाती थीं। यह प्रशिक्षण न केवल लंबा था, बल्कि इसमें शारीरिक सहनशक्ति, तकनीक और मानसिक दृढ़ता पर भी जोर दिया गया था। विनेश के प्रशिक्षण के दौरान, अगर वह कोई गलती करती थी तो उसे डांटा जाता था, जो उसके चाचा द्वारा दिए गए सख्त प्रशिक्षण का हिस्सा था। इस कठोरता का उपयोग उन्हें अपने लक्ष्यों पर केंद्रित रखने और सुधार करने के लिए प्रेरित करने के लिए किया गया था। विनेश की दिनचर्या इतनी सख्त थी कि स्कूल में वह अक्सर थकान के कारण क्लास में ही सो जाती थीं। उन्हें लंबे बाल रखने की भी अनुमति नहीं थी, क्योंकि उनके चाचा का मानना था कि लंबे बाल उन्हें लड़ाई से विचलित कर देंगे और उनका समय बर्बाद करेंगे। इस तरह के कठोर और नियमित प्रशिक्षण ने विनेश को न केवल शारीरिक रूप से मजबूत बनाया बल्कि उन्हें मानसिक रूप से भी तैयार किया ताकि वह जीवन में किसी भी चुनौती का सामना कर सकें। इन चुनौतियों ने विनेश को दृढ़ संकल्प और साहस दिया जिसके माध्यम से उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता
Vinesh Phogat ने अपना पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय खिताब 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में जीता, जहां उन्होंने स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद उन्होंने 2016 के रियो ओलंपिक में भी शानदार प्रदर्शन किया, हालांकि वह पदक से चूक गईं। लेकिन 2018 में कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर उन्होंने खोई चमक वापस ला दी।
विवादों में उलझी विनेश
हालांकि, पिछले डेढ़ साल में विनेश का करियर विवादों से भी घिरा रहा है. 2023 में भारतीय कुश्ती संघ के खिलाफ उनके और दूसरे पहलवानों के आंदोलन की खूब चर्चा हुई. जनवरी 2023 में, विनेश और अन्य महिला पहलवानों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया, जिसके दौरान उन्होंने तत्कालीन कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृज भूषण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए। इस आंदोलन ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया और बृजभूषण को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी।
चयन ट्रायल और अंतहीन विवाद
इसके बाद ओलिंपिक ट्रायल्स के ट्रायल्स को लेकर विवाद खड़ा हो गया। विनेश को अपने मूल वजन वर्ग 53 किलोग्राम से 50 किलोग्राम वर्ग में आना पड़ा। ओलंपिक कोटा के लिए प्रतिस्पर्धा करने वाले एथलीटों के लिए दो क्वालीफाइंग ट्रायल आयोजित किए गए थे, लेकिन बाद में कुश्ती संघ ने इन्हें रद्द कर दिया। इस निर्णय से विनेश के लिए ओलंपिक में भाग लेने का मार्ग प्रशस्त हो गया, लेकिन आंदोलन में शामिल होने के कारण उनकी तैयारी पर सवाल उठाए गए।
संन्यास का एलान
Vinesh Phogat का करियर उतार-चढ़ाव से भरा रहा, लेकिन आखिरकार उन्होंने संन्यास लेने का फैसला किया। 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाइंग ट्रायल में, वह फाइनल से बाहर हो गए क्योंकि उनका वजन श्रेणी सीमा से 100 ग्राम अधिक था। इस घटना ने उन्हें मानसिक रूप से बहुत प्रभावित किया और उन्होंने अपने सोशल नेटवर्क पर इस फैसले की घोषणा की।
विनेश ने ट्वीट किया, “मैं कुश्ती से जीत गया, मैं हार गया। माफ़ करना, तुम्हारा सपना और मेरी किस्मत सब टूट गए। ” इस ट्वीट के बाद विनेश के साथी बजरंग पूनिया ने अपना समर्थन दिया और कहा कि विनेश आप हारे नहीं हैं। हमारी आप हमेशा विजेता रहेंगी, आप भारत की बेटी और भारत का अभिमान हैं।”
रजत पदक की अपील
विनेश ने खुद को रजत पदक दिलाने के लिए कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (सीएएस) का भी दरवाजा खटखटाया है। उसने दावा किया कि उसे फाइनल से बाहर कर दिया गया क्योंकि उसका वजन 100 ग्राम अधिक था, लेकिन वह इस फैसले से खुश नहीं थी।
हरियाणा सरकार की पहल
विनेश की सेवानिवृत्ति के बाद, हरियाणा के मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि वह विनेश को रजत पदक विजेता को मिलने वाले सभी लाभ प्रदान करेंगे। विनेश के चाचा महावीर फोगाट ने भी इस पहल का समर्थन किया. उन्होंने कहा, ”यह मुख्यमंत्री की अच्छी पहल है. उन्होंने विनेश को रजत पदक मिलने की बात स्वीकार की. यह एक अच्छा कदम है और मैं इसका समर्थन करता हूं।”
क्रिकेट जगत के सितारों की प्रतिक्रिया: विनेश फोगाट और निशा दहिया के प्रति सम्मान
दिग्गज क्रिकेटरों ने हालिया घटनाओं पर गहरी निराशा और दुख जताया है। भारतीय क्रिकेट के महान खिलाड़ी सुनील गावस्कर ने इस फैसले को “सबसे दुर्भाग्यपूर्ण” और “अनुचित” बताया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ शुरुआती दौर का मैच नहीं है, बल्कि हम मेडल राउंड की बात कर रहे हैं, इसलिए इस मुद्दे को किसी भी सूरत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। गावस्कर ने भारत सरकार और ओलंपिक एसोसिएशन से इस मामले पर कड़ा विरोध जताने का आह्वान किया।
वहीं, मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने निशा दहिया और विनेश फोगाट के साहस और दृढ़ संकल्प की सराहना की। उन्होंने चोट के बावजूद निशा के अदम्य साहस की सराहना की और कहा कि विनेश के अयोग्य होने के बावजूद फाइनल तक पहुंचने और युई सुसाकी पर उनकी जीत ने पूरे देश को गौरवान्वित किया।
तेंदुलकर ने दोनों खिलाड़ियों को “चैंपियंस की भावना” का प्रतीक बताया और कहा कि उनके लचीलेपन और साहस का देश पर गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने भारत के प्रति उनके समर्पण की सराहना करते हुए कहा कि पूरा देश उनका समर्थन कर रहा है।
निष्कर्ष
Vinesh Phogat का करियर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है. उन्होंने न सिर्फ देश के लिए कई मेडल जीते, बल्कि अपनी आवाज भी बुलंद की और कभी लड़ाई नहीं छोड़ी. खेल से उनका संन्यास लेना भारतीय कुश्ती के लिए एक बड़ा झटका था, लेकिन उनकी प्रेरक यात्रा और उनका संघर्ष खेल प्रेमियों के दिलों में हमेशा जीवित रहेगा। Vinesh Phogat की यह यात्रा बताती है कि एक सच्चा योद्धा वह है जो युद्ध के मैदान से बाहर लड़ता है और अपने मूल्यों पर कायम रहता है।
Vinesh Phogat का करियर भारतीय कुश्ती के इतिहास में एक प्रेरणादायक और महत्वपूर्ण अध्याय है। Vinesh Phogat का जन्म हरियाणा के बलाली गांव में हुआ था. कुश्ती से उनका जुड़ाव उनके परिवार की परंपराओं से है। उनका सफर कठिनाइयों और संघर्षों से भरा था, लेकिन उन्होंने बहादुरी से सभी कठिनाइयों को पार किया और भारत के लिए कई महत्वपूर्ण पदक जीते।